संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- कोरोना संकट को अवसर बनाकर नया भारत गढ़ना है, क्वालिटी वाले स्वदेशी उत्पाद बनाने पर जोर दें

नागपुर. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार शाम विषय 'वर्तमान परिदृश्य और हमारी भूमिका' पर ऑनलाइन बातचीत की। उन्होंने कहा कि हम सभी को स्वदेशी का आचरण अपनाना होगा। स्वदेशी का उत्पादन गुणवत्ता में बिल्कुल 19 ना हो, कारीगर, उत्पादक सभी को यह सोचना होगा। समाज और देश को स्वदेशी को अपनाना होगा। भागवत ने कहा कि हमें कोरोना संकट को अवसर बनाकर नया भारत गढ़ना है। क्वालिटी वाले स्वदेशी उत्पाद बनाने पर जोर दें। हमें विदेशों पर निर्भरता को कम करना होगा। हम यहां की बनी वस्तुओं का उपयोग करेंगे। अगर उसके बगैर जीवन नहीं चलता है तो उसे अपनी शर्तों पर चलाएंगे। यह पहला मौका था जब भागवत ने किसी वर्चुअल प्लेटफॉर्म के जरिए संबोधन दिया।  


भागवत ने अपने संबोधन में इन मुद्दों पर बात की:


संकट को अवसर बनाने की बात
भागवत ने कहा- डॉ. अंबेडकर ने भी कानून-नियमों के पालन पर बहुत जोर दिया है। हमें समाज में सहयोग, सद्भाव और समरसता का माहौल बनाना होगा। शासन समाज के हिसाब से नीति बनाएगा, राजनीति स्वार्थमूलक होकर देश के हिसाब से करनी होगी। हमारी भूमिका विश्व में यही है कि इस संकट को अवसर बनाकर एक नए भारत का उत्थान करें।


भविष्य की चुनौतियों पर सवाल
उन्होंने कहा- लॉकडाउन की आवश्यकता नहीं रहेगी, ये बीमारी जाएगी। लेकिन, जो अस्त-व्यस्त हुआ है, उसे ठीक करने में वक्त लगेगा। कई जगह ऐसा हुआ कि छूट मिली तो भीड़ जमा हो गई। अब आने वाले वक्त में विद्यालय खुलेंगे तो इसके बारे में भी सोचना पड़ेगा। बाजार, फैक्ट्री, उद्योग शुरू होंगे और तब भी भीड़ नहीं होगी...इसके बारे में चिंता करनी चाहिए। 


अर्थव्यवस्था को लेकर सुझाव
भागवत बोले- प्रधानमंत्री ने कहा है सरपंचों से कि संकट ने हमें स्वावलंबन की सीख दी है। बहुत से लोग चले गए हैं शहरों से, क्या सारे लोग वापस आएंगे? जो गांव में हैं, उन्हें रोजगार कौन देगा? जो लोग शहरों में आए हैं, उन्हें रोजगार की व्यवस्था करके देना होगी। हमें अपनी अर्थनीति, विकासनीति की रचना अपने सिस्टम के आधार से करना होगी।


समाज को निशाना बनाने की मनाही


संघ प्रमुख ने किसी का नाम न लेते हुए तबलीगी जमात और कोरोना पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना के फैलने के कारण हम जानते हैं, लेकिन यह कुछ विशेष लोगों की गलती थी। इसके आधार पर पूरे समाज को उस पर आरोपित नहीं करना है। अपने स्वार्थ के लिए भारत तेरे टुकड़े होंगे, यह कहने वाले भी हमारे बीच बहुत हैं और बहुत से लोग अवसर की ताक में हैं। ऐसे में हमें अपने मन में क्रोध और अविवेक के कारण इसका लाभ लेने वाली अतिवादी ताकतों से सावधान रहना हैं।


संस्कार का वातावरण बनाने पर जोर
उन्होंने कहा- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े इसके लिए योग है, कई आसन हैं। अब इसके लिए परिवार में संस्कार का वातावरण होना चाहिए। इसके प्रयास हमें करने पड़ेंगे। पहली बार विश्व ऐसी स्थिति का सामना कर रहा है। जहां अनुशासन है, वहां कोरोना रुका है। जहां अनुशासन नहीं है, वो भूभाग चपेट में है संक्रमण की।


भावना सहयोग की हो, विरोध की नहीं
संघ प्रमुख ने कहा- जिसे आवश्यकता है, उसके पास मदद पहुंचे, ऐसा काम करना होगा। किसी ने भयवश या क्रोधवश कुछ कर दिया तो हमें यह ध्यान रखना है कि हमारे देश का विषय है और हमारी भावना सहयोग की रहेगी, विरोध की नहीं रहेगी। राजनीति आ जाती है, जिन्हें करना है वो करते रहेंगे। 130 करोड़ का समाज भारत माता का पुत्र है और हमारा बंधु है।


हर किसी की मदद के लिए नसीहत
भागवत ने कहा- सामान्य सूचनाएं सबके लिए हैं। विशेष परिस्थितियां भी हैं, उनमें सबको राहत मिल जाए ये भी ध्यान रखना होगा। अपनी सेवा के दायरे में हर कोई आ जाए, अनुशासन को इतना लचीला रखना है। आदतें भी लोगों की ठीक रखनी चाहिए। लोगों को अनुभव हो गया है और वे तैयार हैं तो हमें भी अच्छाई का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।


सभी से धैर्य रखने की अपील
भागवत ने कहा- हमें धैर्य रखना है। कितने दिन की नहीं सोचना है, लगातार काम करते रहना है। विदुरनीति में कहा गया है कि जिस पुरुष को अपनी जीत चाहिए, अपना अच्छा चाहिए उसे 6 दोषों को खत्म करना होता है। आलस्य और दीर्घ सूत्रता काम की नहीं है, तत्परता चाहिए। बहुत दिनों के बाद भागदौड़ बंद हो गई तो अपने घर में लगातार रहने का अनुभव लोगों को मिला। इससे संवाद, समझदारी और समरसता बढ़ती है।


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